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कंप्यूटर: क्या है, इसका इतिहास, जनरेशन और प्रकार

  

 कंप्यूटर क्या है (Computer kya hai) -

कंप्यूटर क्या है? (Computer kya hai) | कंप्यूटर  का  इतिहास (History of computer)|(generation of computer)|कंप्यूटर के प्रकार (Types of Computer)
कंप्यूटर क्या है? (Computer kya hai) | कंप्यूटर  का  इतिहास (History of computer)


 कंप्यूटर (computer ) मुख्य तीन तरह से काम करता है। जिसमे की पहला काम डाटा (Data )को लेना है जिसे हम इनपुट (input ) भी कहते हैं। दूसरा काम उस को प्रोसेसिंग (processing ) करने का होता है और तीसरा काम उस  Processd डाटा को दिखाने का होता है। जिसे आउटपुट (Output)  भी कहते हैं।  कंप्यूटर क्या है यहाँ पर बताया गया है मॉडर्न कंप्यूटर का जनक चार्ल्स बैबेज (Charls Baibage ) को कहा है,  क्योंकि उन्होंने ही सबसे पहले मैकेनिकल कंप्यूटर को डिज़ाइन किया था, जिसे एनालिटिकल इंजन के नाम से भी जाना जाता है। 

कंप्यूटर  का  इतिहास (History of computer) -      

कप्यूटर के विकास गणितीय गणनाये को करने के लिए किया गया था , इस परिक्रिया में विभिन्न प्रणालियों को जन्म  दिया, जैसे बेबीलोनियन प्रणाली , यूनानी प्रणली , रोमन प्रणाली और भारतीय प्रणाली लेकिन  इनमे से भारतीय प्रणाली को स्वीकार कर लिया गया है। पहले के समय में यांत्रिक उपकरणों को संचालित करने वाले विशेषज्ञ व्यक्ति को ही कंप्यूटर नाम से जाना था , समय   के साथ-साथ   इन यंत्रों में अनेक प्रकार के बदलाव तथा सुधार किये गए , इस तरह से आधुनिक कंप्यूटर का निर्माण संभव हो सका जिससे हम कंप्यूटर के इतिहास के रूप में जानते हैं। 

कंप्यूटर इतिहास को देखा जाये तो इस प्रकार है -  कंप्यूटर के इतिहास में कंप्यूटर का वर्णन प्रारम्भ से लेकर

अबेकस (Abacus)  -

 गणितीय गणना करना शुरू से ही कठिन रहा है , तब हमें एक ऐसे यंत्र की आवश्यकता  महसूस होने लगी जिसकी सहायता से हम आसनीं से अपनीं गणितीय गणना कर  सके , अबेकस पहली मैकेनिकल गणना करने वाली मशीन थी , जिसकी सहायता से हम बड़ी संख्या और आंकड़े की गणना किया जा सकता था, यह लगभग 5000  साल पहले चीन में अविष्कार  हुआ था , यह केवल जोड़ने और घटाने के लिए कार्य कर सकता था , इससे गुणन और विभाजन  का कार्य नहीं किया जा  सकता था , ये कंप्यूटर के विकास क्रम का एक भाग है।  इस मशीन के अविस्कार ने कंप्यूटर के विकास का आगाज कर दिया था।


नेपियर बोनस (Napier bones) - 

1616  में ,  सर जॉन नेपियर ने एक गणना उपकरण बनाया और इसे नेपियर बोनस कहा गया , इसके उपयोग से जोड़ , घटाव , गुणा  और भाग किया जाता था, कंप्यूटर के विकास   में सर जॉन नेपियर का नेपियर बोनस का प्रभावशाली भूमिका थी , सर जॉन नेपियर एक स्कॉटिश गणितिज्ञ थे, जो लोगोरिथ्म के अपने अविष्कार के लिए प्रसिद्ध हुए थे, उनके लॉग्स के उपयोग से किसी भी गुणा समस्या को कम समय में हल करने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। 

पास्कलिने (Paskaline) - 

अबेकस  तथा नेपियर बोनस के निर्माण के बाद पास्कलिने का अविष्कार हुआ। सन 1642  में ब्लेज पास्कल का अविष्कार किया , जो एक यांत्रिक मशीन था , यह अबेकस से अधिक गति से गणना करता था , तथा ये  पहला मैकेनिकल कैलकुलेटर था , ब्लेज पास्कल एक  फ़्रांसिसी गणितिज्ञ थे और पहले आधुनिक बैज्ञानिको में एक थे जिन्होंने कैलकुलेटर विकसित किया और इसका निर्माण किया था , यह मशीन जोड़ने और घटाने में सक्षम थी। 

एनालिटिकल इंजन(Analytical Engine) -

 सन 1822  में  चार्ल्स बेबाज ने पास्कलिने से प्रेणना लेकर पहला यांत्रिक, कम्प्यूटर का अविस्कार किया था , इसे डिफ्रेंटिअल इंजन कहा जाता था , उन्होंने डिफ्रेंटिअल इंजन तथा एनालिटिकल इंजन बनाया जो सहीं तरीके से गणना कर सकते थे। 

 चार्ल्स बैबेज एक ब्रिटिश गणितिज्ञ थे , जिसे computer  के पिता के रूप में माना जाता है। उन्होंने एनालिटिकल इंजन के रूप में जाना जाने वाला पहला सामान्य कंप्यूटर का  अविष्कार किया तथा इसके आधार पे  ही आज के कंप्यूटर बनाये जा रहे हैं इसलिए चार्ल्स बैबेज को कंप्यूटर का जनक कहा जाता है। उन्होंने 1937  में स्वचालित कंप्यूटर की परिकल्पना  की थी जिसे वह पूरा नहीं कर सके थे , हर्थेर्न हॉलेरिथ ने उसे पूरा किया  जिसमें पंचकार्ड का इस्तेमाल  से कृत्रिम memory  तथा प्रोग्राम के अनुरूप गणना  करने की क्षमता थी , इसलिए चार्ल्स बैबेज   को आधुनिक कंप्यूटर का जनक कहा जाता है। 


मार्क -I (Mark -I) -

सन 1940  में विधुत यांत्रिक कंप्यूटिंग शिखर पर पहुँच चुकी थी, IBM  के चार शीर्ष इंजीनियरों व डॉ. हबर्ड आइकेन ने सन 1944  में एक मशीन विकसित किया यह विश्व का सबसे पहला विधुत यांत्रिक कंप्यूटर था और इसका ऑफिसियल नाम ऑटोमैटिक सीक्वेंस कंट्रोल्ड कैलकुलेटर (Automatick sequence controld calculator  )रखा गया। इसे हावर्ड विश्वविद्यालय को सन 1944  के फ़रवरी माह में भेजा जो विश्वविद्यालय में 7  अगस्त 1944  को प्राप्त हुआ। इसी विश्वविद्यालय में इसका नाम मार्क -I  पड़ा,  यह 6   सेकंड में 1  गुना व 12   सेकंड में 1 भाग कर सकता था।

 

ए. बी. सी. (A .B .C ) -

 सन 1947 में अटानासॉफ  तथा क्लोफोर्ड बेरी ने एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन का विकास किया जिसका नाम A .B .C . रखा गया। A .B .C . शब्द Atanasoff Berry Comuter का सक्षिप्त रूप है। A .B .C .  सबसे पहला इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर था। 


           computer की पीडियां (generation of computer)

कंप्यूटर क्या है और इसके विकास में कम्प्यूटरीकरण के विविध यंत्रों को अलग जनरेशन से जोड़ कर देखा जाता है। computer की पीडिया कंप्यूटर विकास को दिखती है। यहाँ कंप्यूटर के विकास की जानकारी दी जा रही है। 

प्रथम पीढ़ी (First Generation ) (1940  - 1956  ) -

वैक्यूम टयूब्स - कंप्यूटर के पहले दौर में मेमोरी के लिए चुंबकीय (मैग्नेटिक) और परिपथीय (सरक्यूटरी) ड्रम का इस्तेमाल करते थे और इसी वजह से ये काफी बड़े होते थे और पूरे कमरे की जगह लेते थे , अधिक बिजली ग्रहण करते , बेहद गर्मी पैदा करते और  कई बार इसी वजह से खराब भी हो जाते थे  , पहली पीढ़ी  कंप्यूटर मुख्यतः  मशीनी भाषा पर निर्भर होते थे और एक समय में एक ही समस्या का हल कर सकते थे , इनका इनपुट पंचकार्ड और पेपर टेप पर आधारित था। जबकि आउटपुट केवल प्रिंटआउट पर ही दीखते थे।  UNIVAC यनिवेक (युनिवेर्सल ऑटोमैटिक कंप्यूटर ) और इ.एन.आई.ए.सी ( Electronic numerical  integreted  and computer ) पहली जनरेशन के कंप्यूटर उपकरणों के उदाहरण है। UNIVAC  पहला व्यावसायिक कंप्यूटर था जिसे 1951  में सयुंक्त राज्य अमेरिका के जनगणना ब्यूरो को दिया गया था।

दूसरी पीढ़ी (Second Generation ) (1956  - 1963 ) - 

ट्रांजिस्टर  -

 वैक्यूम  ट्यूब के स्थान पर ट्रांजिस्टर का प्रयोग शुरू हुआ और इसी के साथ दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर अस्तित्व में आये , ट्रांजिस्टर की खोज 1947,  में ही हो गयी थी पर इसका व्यापक इस्तेमाल 1950   के दशक के अंतिम दौर में ही हो सका था , यह वैक्यूम ट्यूब से काफी  परिस्कृत था जिसने कंप्यूटर  को छोटा , तेज ,सस्ता ,ऊर्जा के बेहतर इस्तेमाल और पहली पीढ़ी के कंप्यूटर के मुकाबले अधिक भरोसेमंद बनाया, हालाँकि ट्रांजिस्टर भी काफी गर्मी पैदा करते थे जिससे कंप्यूटर को नुक्सान पहुँचता था , पर यह वैक्यूम ट्यूब के मुकाबले  काफी बेहतर था , दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर भी इनपुट के लिए पंच कार्ड और आउटपुट के लिए प्रिंटआउट पर निर्भर थे, दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर क्रिप्टिक बाइनरी मशीनी भाषा के मुकाबले सिम्बॉलिक या असेंबली लैंग्वेज  का इस्तेमाल  करते थे , इससे प्रोग्रामर को वर्ड्स में खास निर्देश देने में सुविधा होती थी ,  ऊँचे स्तर के प्रोग्रामिंग भाषा भी इसी समय खोजे गये , जैसे - कोबोल और फोरट्रान की भी खोज हुई। ये वैसे पहले कंप्यूटर भी थे जो अपनी मेमोरी में अपने निर्देशों को संग्रहित रखते थे , जिससे मेग्नेटिक ड्रम्स की जगह मेग्नेटिक कोर तक्नीक का इस्तेमाल शुरू हुआ , इस पीढ़ी के पहले कंप्यूटर परमाणू ऊर्जा उद्योग के लिए विकसित किये गए थे। 

तीसरी पीढ़ी (1964 - 1971  ) -

 एकीकृत परिपथ  -

तीसरी पीढ़ी के  कम्पूटरो की सबसे बड़ी विशेषता एकीकृत परिपथ के  इस्तेमाल की  थी। ट्रांजिस्टर को छोटा कर सिलिकॉन चिप पर लगाया गया। जिसे सेमिकंडक्टर कहते थे। इसने असाधारण रूप से कंप्यूटर की क्षमता और गति में बढ़ोतरी कर  दी। पंच कार्ड और प्रिंटआउट की जगह उपयोग कर्ताओं को तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर में मॉनिटर और की -बोर्ड से परिचित कराया गया। साथ ही , एक ऑपरेटिंग सिस्टम से भी वह मुखातिब हुए। इससे एक ही समय एक केंद्रीय कार्यक्रम के साथ कई सारे अलग -अलग अनुप्रयोग लायक उपकरण बन सके। 

चौथी पीढ़ी (1971  से अब तक ) -  

माइक्रोप्रोसेसर - 

माइक्रोप्रोसेसर के साथ ही चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर अस्तित्व में आये।  जिसमें हजारों एकीकृत परिपथों (IC -integreted  सर्किट ) को एक सिलिकॉन चिप में बनाया गया।  जहां पहली पीढ़ी के कंप्यूटर पूरे कमरे की जगह लेते थे। अब कंप्यूटर हथेली में समां सकते थे।  1971 ई० में खोजे गये इंटेल 4004  चिप में कंप्यूटर के सभी जरूरी घटक (components)  थे, सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट और मेमोरी से लेकर इनपुट आउटपुट कण्ट्रोल तक सिर्फ एक चिप पर। 1981 में IBM अपना पहला कंप्यूटर लेकर आई।  यह घरेलु उपयोग करने वालों के लिए था ,1984  में एप्पल ने मैकिंतोश  बनाया। माइक्रोप्रोसेसर, डेस्कटॉप कंप्यूटर से आगे बढ़कर जीवन के कई क्षेत्रों में आया और दिन प्रीतिदिन के उत्पादों को माइक्रो प्रोसेसर का इस्तेमाल होने लगा।  ये छोटे कंप्यूटर काफी ताकतवर होते है।  वे आज एक साथ नेटवर्क को जोड़ सकते हैं, जो अंततः इंटरनेट के विकास में काम आये, चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर ने माउस ,GUI , और हाथ से पकडे जाने वाले उपकरणों का भी विकास किया। 

पांचवी पीढ़ी (वर्तमान और आगे) - 

कृतिम बुद्धि -

पांचवी पीढ़ी की कंप्यूटर जो कृतिम बुद्धि पर आधारित है। अब भी विकास की प्रक्रिया में है हालाँकि कुछ उपकरण जैसे आवाज की पहचान (voice Recognition) आज इस्तेमाल किये जा रहे हैं , सुपर कंडक्टर और पैरेलल प्रोसेसिंग कृत्रिम बुद्धि को वास्तविकता में बदलने में सहायता कर रहे है। परिणाम सगणन (क्वांटम कम्प्यूटेशन) और मॉलिक्युलर व  नैनोटेक्नोलॉजी आनेवाली वर्षो में कंप्यूटर का चेहरा पूरी तरह बदल देगा। पांचवी पीढ़ी के कंप्यूटर लैंग्वेज इनपुट से संचालित हो सकते है और वह स्व - संगठन (Self Organigation) और सीखने के लायक है। 

कंप्यूटर के प्रकार  -  

कंप्यूटर के प्रकार को हम size, उपयोग तथा कार्यक्षमता के आधार पर विभिन्न श्रेणियों में रख सकते हैं।  

अनुप्रयोग के आधार पर कंप्यूटर प्रकार 

Analog Computer (एनालॉग कंप्यूटर) - 

एनालॉग कंप्यूटर वे कंप्यूटर होते है जो भौतिक मात्राओं लंबाई (Lenght),ऊंचाई(Height) ,आदि को मापकर उनके परिमाप अंकों में व्यक्त  करते  है ये जैसे - इलेक्ट्रिक Voltage, थर्मामीटर, एनालॉग कंप्यूटर measure करने के काम में आते है इन कम्प्यूटर में इनफार्मेशन स्टोर करने के लिए मेमोरी नहीं होती है। 


 

Digital Computer (डिजिटल कंप्यूटर) -

डिजिटल का अर्थ होता है अंक अर्थात डिजिटल कंप्यूटर वह कंप्यूटर होता है जो अंको की गणना करता है डिजिटल कंप्यूटर आउटपुट को रिप्रेजेंट करने के लिए numerals , litters या कोई दूसरा special symbol दिखाता है। 

डिजिटल कंप्यूटर on /off  होते हैं ,डिजिटल कंप्यूटर airthmatic operations को भी perform कर सकता है। जैसे की addition , subtraction , multiplication , division और साथ में लॉजिकल ऑपरेशन भी। ज्यादातर computers जो की अभी के समय में उपलब्ध हैं वे सभी डिजिटल कंप्यूटर है , डिजिटल computers के कॉमन example है accounting machine और calculators. यदि हम रिजल्ट की बात करे तब डिजिटल कम्प्यूटर्स ज्यादा accurate रिजल्ट प्रदान करते है एनालॉग कम्प्यूटर की तुलना में एनालॉग computer बहुत ही ज्यादा फास्टर होते है , डिजिटल की तुलना में डिजिटल comuters में information को स्टोर करने के लिए मेमोरी होती है , digital computers counting करते है। digital computer में on /off  को on को 1 से off को 0 से represent किया जाता है। डिजिटल computers इनफार्मेशन को प्रोसेस करते है electrical signal के उपस्थित या अनुपस्थित के आधार पर या फिर binary 1 या 0 पर। डिजिटल कंप्यूटर इनफार्मेशन को display करते हैं text, graphics, आदि pictures के आधार पर।

Hybrid Computer (हाइब्रिड कंप्यूटर) -  

Hybrid कंप्यूटर में डिजिटल और एनालॉग कम्यूटर दोनों ही प्रकार के कंप्यूटर के फीचर्स को आपस में combine किया जाता है। दोनों features इस प्रकार है analog computer की स्पीड और डिजिटल कंप्यूटर की मेमोरी और accuracy. हाइब्रिड कंप्यूटर का मुख्यता प्रयोग एक हॉस्पिटल में (ICU) Intensive care unit में एक एनालॉग डिवाइस का इस्तेमाल होता है जोकि पेशेंट के ब्लड pressure और temprature को मापने के लिए किया जाता है। हाइब्रिड कंप्यूटर का उपयोग रडार ,पेट्रोल pump में oil एवं price को calculate कर measure करने, scientific calculations, एवं defence में किया जाता है। 

उद्देश्य के आधार पर कंप्यूटर प्रकार (Based on purpose) - 

computers को उद्देश्य के आधार पर दो भागों में स्पेशल पर्पस और जनरल पर्पस  आधार पर बर्गीकृत किया गया है। 

 स्पेशल परपज़ कंप्यूटर (special purpose computer) -

स्पेशल purpose computer ऐसे कंप्यूटर है जिन्हे किसी विशेष कार्य के लिए तैयार किया जाता है इनके C.P.U. की क्षमता उस कार्य के अनुरूप होती है। जिसके लिए इन्हे तैयार  जाता है। जैसे - अंतरिक्ष विज्ञान, मौसम विज्ञान,उपग्रह संचालन,अनुसंधान एवं शोध, accounting machine, यातायात नियंत्रण , कृषि विज्ञान, चिकित्षा आदि।

General purpose computer (जनरल परपज़ कंप्यूटर) -

general purpose कंप्यूटर ऐसे कंप्यूटर है जिन्हे सामान्य उद्देश्य के लिए तैयार किया गया है इन कंप्यूटर में अनेक प्रकार के कार्य करने कि क्षमता होती है इनमें उपस्थित C. P. U की क्षमता तथा कीमत कम होती है ,इन कंप्यूटर का प्रयोग सामान्य कार्य हेतु जैसे - पत्र (letter), तैयार करना, दस्तावेज (Document) तैयार करना , डॉक्यूमेंट को प्रिंट करना आदि के लिए किया जाता है।

आकार के  आधार पर कंप्यूटर प्रकार (Based on Size )

Super Computer (सुपर कंप्यूटर) - 

ये सबसे अधिक गति वाले कंप्यूटर व अधिक क्षमता वाले कंप्यूटर हैं। इनमें एक से अधिक C. P. U  लगाए जा सकते है व एक से अधिक व्यक्ति एक साथ कार्य कर सकते है। ये कंप्यूटर सबसे महगें होते है व आकर में बहुत बड़े होते है।  इनका इस्तेमाल वेदर , ग्लोबल क्लाइमेट ,forecast ,मिलिट्ररी रिसर्च , डिफेन्स सिस्टम,automobile ,air craft ,spacecraft ,sensitive intelligence informaiton ,seismography ,प्लाज्मा ,नुक्लिअर रिसर्च ,DNA structure ,gene Engineering ,ड़िजिटल fillm redring में किया जाता है। C -DAC ने भारत में PARAM सीरीज की सुपर कंप्यूटर को develop  किया था।  

Mainframe Computer(मेनफ़्रेम कंप्यूटर) - 

मेनफ़्रेम कंप्यूटर बहुत बड़े होते है ये बहुत हद तक सुपर कंप्यूटर की तरह ही होते हैं एक mainframe comuter का इस्तेमाल  बहुत से कार्यो को एक साथ ही करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। ज्यादा पॉवरफुल multi -user computer होने के वजह से इनका इस्तेमाल large business organigation में , examination department में examination के लिए industries और डिफेन्स में ऐसे डाटा को process करने के लिए जो की बहुत ही complex होते है ये बड़ी ही आसानी से बहुत सारे request को जल्दी से process कर सकता है।  ये बहुत से CPU के data processing प्रोसेस करने के लिए होता है। करीब 100 users से भी ज्यादा users एक समय में mainframe computer का इस्तेमाल कर सकते है। IBM ने  सबसे पहला mainframe computer बनाया था ,इसका इस्तेमाल गोवेर्मेंट और civilian,credit card processing,Bank , marketing ,business डाटा processing ,airtraffic control system, में किया जाता है। 

Mini Computer (मिनी कंप्यूटर) -

mini  कंप्यूटर को मिड रेंज कंप्यूटर भी कहा जाता है, इनका  इस्तेमाल छोटे  व्यवसाय तथा व्यावसायिक प्रतिस्ठानों  द्वारा किया जाता है, मिनी कंप्यूटर को सिंगल यूजर के लिए विकसित नहीं किया जाता है।  इनको एक कंपनी द्वारा अपने एक विभाग विशेष में किसी कार्य विशेष को करने में उपयोग लिया जाता है। mini computer बड़े और ज्यादा powerful होते हैं ये भी एक multi -user computer होता है जो की support करता है एक साथ बहुत से लोगों को काम करने में, इनका इस्तेमाल scientific research, instrumention system, engineering Analysis, industrial process monitoring में भी  होता है।  mini computer में एक से अधिक CPU हो सकते है ,यह यातायात में यात्रियों के लिए आरक्षण  प्रणाली का संचालन और बैंको के बैंकिंग कार्यों के लिए होता है। 

Micro Computer (माइक्रो कंप्यूटर)  -

इस कंप्यूटर को micro computer इसलिए कहा जाता है पहला इस कंप्यूटर मैं micro processor का प्रयोग किया जाता है दूसरा यह computer दुसरे computer की अपेक्षा आकार में छोटा होता है micro computer आकार में इतना छोटा होता है की इसको एक study table अथवा एक Briefcase में रखा जा सकता है। यह computer सामान्यता सभी प्रकार के कार्य कर सकता है इसकी कार्य प्रणाली तो लगभग बड़े computer के सामान ही होती है। परन्तु इसका आकार उनकी तुलना में कम होता है।  इस कंप्यूटर पर सामान्यता एक ही व्यक्ति कार्य कर सकता है, जैसे - Personal Computer, Notebooks, laptops, PDA, आदि micro कंप्यूटर है। सन 1976 में पहला personal computer  - Apple -1 बनाया गया। इसे Apple computer ने Design किया था, सन 1981 में IBM ने भी अपना IBM 5150 PC को announce किया। अभी जो कंप्यूटर ज्यादा इस्तेमाल होते हैं वो सभी micro computer ही होते हैं, इन्हें Home PC या Personal computer (Pc) भी कहते हैं, क्योंकि ये single user के द्वारा इस्तेमाल किया जाता है।